इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।

आज की ग्रामीण संस्कृति को देखकर और इस उपन्यास के अंश को पढ़कर ऐसा लगता है कि कैसी अच्छी रही होगी वह समूह-संकृति, जो आत्मीय स्नेह और समूह में रहने का बोध कराती थी। वर्तमान समय में ऐसे दृश्य दिखाई नहीं देते| वर्तमान समय में लोगों के बीच आंतरिक स्नेह एवं सामूहिकता में काफी अंतर आ गया है| उपन्यास के इस प्रसंग में सामूहिक कार्य प्रणाली की बात की गयी है जबकि वर्तमान पूंजीवादी युग में लोग स्वयं के लिए पूंजी जोड़ने हेतु अकेले कार्य करना पसंद करते हैं| और उनका उद्देश्य सिर्फ अपना भरण पोषण करना नहीं होता बल्कि अधिक से अधिक संपत्ति जोड़ना होता है| अतः तीस के दशक के जिन दृश्यों का चित्रण उपन्यास के इस भाग में किया गया है वैसे दृश्य वर्तमान में दिखाई नहीं देते| उदाहरण के तौर पर देखते हैं-

(क) वर्तमान समय में भूमि की कीमतों के अधिक हो जाने से अधिकाँश लोगों के घर सिमट गए हैं और उनके घरों के सामने अतीत की तरह लम्बे-चौड़े चबूतरे नहीं होते|


(ख) अब संयुक्त परिवारों का स्थान एकल परिवारों ने ले लिया है| जबकि तीस के दशक में अधिकाँश परिवार संयुक्त परिवार हुआ करते थे|


(ग) वर्तमान दौर में बच्चों के खेलने की सामग्री में भी तीस के दशक की तुलना में काफी परिवर्तन आ गया है| तीस के दशक में बच्चे परंपरागत खिलौनों से खेलते थे जबकि वर्तमान दौर में आधुनिक खिलौने जोकि इलेक्ट्रोनिक एवं काफी महंगे होते है, से बच्चे खेलना पसंद करते हैं|


(घ) आज की नई संस्कृति बच्चों को धूल-मिट्टी से बचाना चाहती है। अभिवावक उन्हें समूह में एवं घर के बाहर खेलने की अनुमति नहीं देते|


(च) घरों के बाहर पर्याप्त मैदान भी नहीं रहे, लोग स्वयं डिब्बों जैसे घरों में रहने लगे हैं। इसी कारण से अतीत की तरह गली-नुक्कड़ पर हुल्लड़वाजी करते हुए बच्चों के समूह आपको कभी-कभार ही देखने को मिलते हैं|


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